संस्थान में दिनांक 14 से 29 सितंबर 2022 के दौरान हिंदी पखवाड़ा समारोह मनाया जा रहा है । पखवाड़े के दौरान विभिन्न विषयों पर अनेक प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी । जिसमें प्रथम, द्वितीय, तृतीय, एवं प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे । साथ ही, इस पखवाड़े के अंतर्गत संस्थान के हिंदी पुस्तकालय के पाठकगण वैज्ञानिकों द्वारा पढ़ी गई साहित्यिक कृतियों के समीक्षा विडियों भी एक श्रृंखला के रूप में प्रदर्शित किए जा रहे हैंं ।
प्रतियोगिताओं हेतु पुरस्कार: प्रतियोगिताओं हेतु क्रमश: प्रथम ₹ 1000/-, द्वितीय ₹ 800/-, तृतीय ₹ 600/-, एवं प्रोत्साहन ₹ 300/- के नगद पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे ।
संस्थान के वैज्ञानिक - ई, श्री दिनेश कुमार त्रिवेदी द्वारा साहित्यकार प्रेमचंद जी के कथा साहित्य पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए |
श्रीमदभगवत गीता में उल्लेखित हिंदी टीकाओं का ग्रंथ “साधक-संजीवनी” की संस्थान के वैज्ञानिक – ई, डॉ. अनन्त बी. पारेख, द्वारा समीक्षा प्रस्तुत करते हुए ।
छत्रपति शिवाजी महाराज के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित “श्रीमान योगी” उपन्यास की संस्थान के वैज्ञानिक – ई, डॉ. शिवसाई अजित दीक्षित, द्वारा समीक्षा प्रस्तुत करते हुए।
सत्यजित रे की विश्वप्रसिद्ध फिल्म, “पथेर पांचाली”, लेखक बिभूतिभूषण बंद्योपाध्याय के “पथेर पांचाली” उपन्यास पर आधारित है। जिसके बारे में अपनी राय संस्थान के वैज्ञानिक - डी श्री. मृगांक शेखर बिस्वास द्वारा प्रस्तुत की जा रही है।
भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों को “श्रीमद्भगवद्गीता” नामक प्रसिद्ध ग्रंथ में संकलित किया गया है, जिसके बारे में अपनी राय, संस्थान की प्रवर श्रेणी लिपिक, श्रीमती ज्योति वाघोले, द्वारा प्रस्तुत की जा रही है।
नोबल पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार अर्नेस्ट हेमिंग्वे द्वारा लिखित “बूढ़ा सागरिक” (बूढ़ा आदमी और समुद्र) एक लघु उपन्यास है। जिसकी समीक्षा प्रस्तुत करते हुए संस्थान के वैज्ञानिक – डी, डॉ. महेन कुंवर
“हैरी पॉटर” पुस्तक (जिस पर अनेक भाषाओं में फिल्म बनी है) की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए संस्थान के वैज्ञानिक – ई, डॉ. सुब्रत कुमार दास।
रस्किन बॉन्ड ब्रिटिश मूल के एक विश्वप्रसिद्ध भारतीय लेखक है, जिन्होंने भारत में बाल साहित्य को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है। उनकी साहित्यिक कृतियों के बारे में समीक्षा प्रस्तुत करते हुए संस्थान की वैज्ञानिक – डी, सुश्री चैत्री रॉय।
सुप्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु के कथा साहित्य के परिप्रेक्ष्य में समीक्षा प्रस्तुत करते हुए संस्थान के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक – जी, डॉ. ए. के. सहाय।